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Saturday, April 23, 2011

घर - 1


मेरा घर
दो दरवाज़ों को जोड़ता एक घेरा है
मेरा घर
दो दरवाज़ों के बीच है
उसमें किधर से भी झाँको
तुम दरवाज़े से बाहर देख रहे होगे
तुम्हें पार का दृश्य दीख जाएगा
घर नहीं दीखेगा

- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय"


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