कुछ औरतें अपनी इच्छा से
कुँए में कूद कर जान दी थी
ऐसा
पुलिस के रेकार्डो में दर्ज है
और कुछ औरतें
अपनी इच्छा से चिता में जल कर मरी थी
ऐसा धरम की किताबों में लिखा है
मैं कवि हूँ
कहता हूँ
क्या जल्दी है
मैं एक दिन पुलिस और पुरोहित दोनों को
एक ही साथ औरतो की
अदालत में तलब कर दूंगा
और
बीच की सारी अदालतों को मंसूह कर दूंगा
मैं उन दावों को भी मंसूह कर दूंगा
जिन्हें श्रीमानों ने औरतो
और बच्चों के खिलाफ पेश किये हैं
मैं उन डिक्रियों को निरस्त कर दूंगा जिन्हें लेकर फौजें और कुनबा चलते हैं
मैं उन वसीयतों को खारिज कर दूंगा
जिन्हें दुर्बल ने भुजबल के नाम किये हैं
मैं उन औरतो को
जो अपनी मर्जी से कुएं में कूद कर
और
चिता में जल कर मरी हैं
फिर से जिंदा कर दूंगा
और उनके बयानों को दोबारा
कलमबंद करूँगा
कि कहीं कुछ छूट तो नहीं गया
कि कहीं कोई भूल तो नहीं हुई
कि कहीं कोई चूक तो नहीं हो गयी
क्योंकि
मैं उस औरत के बारे में जानता हूँ
जो अपने एक बित्ते के आँगन में
अपने सात बित्ते की देह को
ताजिंदगी समोए रही
और कभी भूलकर भी
बाहर की तरफ झाँका नहीं
और जब बाहर निकली
तो औरत नहीं
उसकी लाश निकली
जो खुल्ले में पसर गयी है
मामेदिनी की तरह
एक औरत की लाश
धरती माता की तरह होती है दोस्तों
जो खुल्ले में पसर जाती है
थानों से लेकर अदालतों तक
मैं देख रहा हूँ की जुर्म के सारे सबूतों को मिटाया जा रहा है
चन्दन चर्चित मस्तक को उठाये हुए पुरोहित
और तम्बू से लैश सीनों को फुलाये हुए सिपाही
महाराज की जय बोल रहे हैं
वे महाराज जो मर चुके हैं
और महारानियाँ सती होने की तैयारियां कर रही हैं
और जब महारानियाँ नहीं रहेंगी तो नौकरानियां क्या करेंगी?
इसीलिए वे भी तैयारियां कर रही हैं
मुझे महारानियो से ज्यादा चिंता नौकरानियों की होती है
जिनके पति अभी जिंदा हैं
और, बेचारे रो रहे हैं
कितना ख़राब लगता है
एक औरत को अपने रोते हुए पति को छोड़कर मरना
जबकि मर्दों को रोती हुई औरतों को मारना भी ख़राब नहीं लगता
औरतें रोती जाती हैं, मरद मारते जाते हैं
औरते और जोर से रोती हैं, मरद और जोर से मारते हैं
औरतें खूब जोर से रोती है,
मरद इतने जोर से मारते हैं कि वो मर जाती हैं!
इतिहास में वो पहली औरत कौन थी
जिसे सबसे पहले जलाया गया
मैं नहीं जानता
लेकिन जो भी रही होगी मेरी माँ रही होगी
लेकिन मेरी चिंता है
कि भविष्य में वह आखिरी औरत कौन होगी
जिसे सब से अंत में जलाया जायेगा
मैं नहीं जानता
लेकिन जो भी होगी मेरी बेटी होगी
और मैं ये नहीं होने दूंगा!
- विद्रोही जी
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